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एक दिव्य-शक्ति हमारे समीप | A Goddess Among Us (Hindi Edition)
आनन्दमयी माँ का दैविक जीवन

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माँ के जीवन चरित एवं उपदेशों का संक्षिप्त परिचय सीधे माँ द्वारा दीक्षा प्रदान किए गए साधक द्वारा लिखी इस पुस्तक में इस आशा से प्रस्तुत किया गया है कि वह सत्यानुसंधान में रत साधकों को कृपा व शक्ति की परमस्रोत माँ
आनन्दमयी की ओर निर्देशित करेगा।
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“ऐसा कभी हो ही नहीं सकता कि कोई भी, कहीं भी मुझे प्रिय न हो। मैं हर समय तुम्हारे पास हूँ।”

श्री आनन्दमयी माँ (1896-1982) बीसवीं शताब्दी की सर्वाधिक प्रभावी व तेजस्वी आध्यात्मिक विभूतियों में एक विशेष स्थान रखती हैं। आपके अनुयायी महान संतों से लेकर प्रधानमंत्रियों तथा सरलतम ग्रामवासियों तक रहे। विश्वभर से लोग केवल माँ के दर्शनार्थ एवं सान्निध्य हेतु आते रहे।

माँ की औपचारिक शिक्षा यद्यपि लगभग नगण्य रही किन्तु उनकी स्वानुभूति से प्रमाणित वाणी, तथा माधुर्य व प्रभुत्व से सभी मोहित हो जाते थे। प्रार्थना में श्रद्धा पूर्वक माँ के प्रति समर्पित भक्तों को आज भी माँ के अस्तित्व व मार्गदर्शन की अनुभूति होती है, तथा माँ की जीवनलीला से आध्यात्मिक पथ की ओर आकर्षित साधक प्रेरणा प्राप्त करते हैं।

वह जहाँ भी जाती थीं, कोई न कोई चमत्कार होता था। अचानक धरती पर कुचली एक चींटी में जीवन की साँस लेने के लिए वरदान करना… एक मरती हुई महिला के घर पर प्रदर्शित होना… सब कुछ माँ के माध्यम से आसानी और विनय से प्रकट हो जाता था। हरिद्वार के पास कनखल में उनकी समाधि के दर्शन करने के लिए दुनिया भर से श्रद्धांजलि देने के लिए भक्त आते हैं और उन पर शाँति और आशीर्वाद की वर्षा होती हैं।

माँ के जीवन चरित एवं उपदेशों का संक्षिप्त परिचय सीधे माँ द्वारा दीक्षा प्रदान किए गए साधक द्वारा लिखी इस पुस्तक में इस आशा से प्रस्तुत किया गया है कि वह सत्यानुसंधान में रत साधकों को कृपा व शक्ति की परमस्रोत माँ आनन्दमयी की ओर निर्देशित करेगा। उन घटनाओं का उल्लेख किया गया हैं जो इससे पूर्व प्रकाशित माँ की किसी भी जीवनी में नही हैं।

Author: Swami Mangalananda