Description
अद्वैत ज्ञानी रमेश बलसेकर से पहली बार गौतम सचदेवा फरवरी २००० में मिले थे और तभी से वे उनके प्रवचनों में जाने लगे । इन १० सालों के दौरान उन्होंने खुद को बतौर एक प्रकाशक की भूमिका में पाया और आत्मीय भाव से रमेश के साथ उनकी कुछ किताबों का प्रकाशन भी किया ।
मई २००७ में गौतम ने भारत की सर्वश्रेष्ठ आध्यात्मिक पत्रिका ‘लाइफ पोज़िटिव’ में एक लेख लिखा जिसकी रमेश के सम्मान में, उनके ९० वें जन्मदिन पर रचना की गई थी ।
पाठकों द्वारा इस लेख की हार्दिक प्रशंसा की गई और रमेश ने इसे एक पुस्तिका बनाने का सुझाव दिया । रमेश अपने रोज़ सुबह के सत्संग में जो कहते थे, उस शिक्षा के मूल सूत्रों का गौतम ने संकलन किया ।
रमेश की किताबें ज्यादातर उनके मूल नोट्स, उनके उपदेश और उपासकों के साथ हुई वार्तालाप को संकलित कर प्रकाशित की गई हैं । यह पुस्तक रमेश के मौखिक कथन की मूल अवधारणाओं का सारांश है, मानो वे अपने उपासकों को एक प्रात:कालीन प्रवचन में अपनी पूरी शिक्षा दे रहे हों ।
‘रमेश बलसेकर के संकेत’ दुनिया के एक प्रमुख अद्वैत ज्ञानी के सुझाव हैं जो कि जीवन की परिस्थितियों, तथा इसके सुख और दु:ख को संतुलन और मन की शांति के साथ सुलझाने की राह दिखाते हैं ।
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