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समर्पण | Surrender (Hindi Edition)

Author: A. A. Khan

199.00


इस किताब के आशावादी नज़रिये से आप प्रभावित और लाभान्वित ज़रूर होंगे यदि आपका व्यावसायिक जीवन हमेशा जनता की समीक्षा का मोहताज हो; आप किसी टीम के नेता हों और टीम की कुशलता…
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Description

“बहुत पहले मैंने जीना यथार्थ में जीना सीखा
उसे स्वीकार करना और उसकी कद्र करना
सीखा अपराधी केवल काल्पनिक दुनिया
में जीते हैं, यही उनकी समस्या है”

जब किसी कठोर अपराधी के सामने आप फँसे हों, आपके मैडल और ओहदे की कोई अहमियत नहीं होती । इस परिप्रेक्ष्य से देखें तो पुलिस के प्रमुख अधिकारी आफ़्ताब अहमद खान की जिन्दगी, एक आम पुलिस वाले की जिन्दगी से ज़्यादा सुरक्षित नहीं रही । जिसका सपना था लिटरेचर में डॉक्टरेट करना, उसने पुलिस की वर्दी क्यों पहन ली, क्यों जुर्म और हिंसा की दुनिया में प्रवेश किया? जहाँ कायदे और कानून केवल आप पर लागू होते है, अपराधी पर नहीं – ऐसे मॉहौल में काम करना कैसा रहा होगा?

भले ही आपको ऐसे ख़तरों का सामना करना नहीं पड़ता, फ़िर भी आप ये ज़रूर जानना चाहते होंगे कि कैसे ऐसे घोर अँधेरे में कोई रोशनी ढूँढ सकता है?

इस किताब के आशावादी नज़रिये से आप प्रभावित और लाभान्वित ज़रूर होंगे यदि आपका व्यावसायिक जीवन हमेशा जनता की समीक्षा का मोहताज हो; आप किसी टीम के नेता हों और टीम की कुशलता, हौसला और निष्ठा आपके नेतृत्व और निर्णय लेने की क्षमता पर निर्भर होती हो । आपको फ़र्ज के लिए अपनी निजी ज़िन्दगी से, जैसे परिवार के साथ वक्त बिताना, अक्सर ही समझौता करना पड़ता हो ।

समर्पण से आप समझेंगे कि आपके साथ और आपके लिए काम करने वालों के साथ दोस्ती और विश्वास का रिश्ता कायम करना क्यों ज़रूरी है? ये क़िताब आपको इस बात की याद दिलाएगी कि इन्द्रधनुष के लिए बारिश और धूप दोनों का होना जरूरी होता है । जब कोई आप के साथ बुरा करे, ये भी जानेंगे तब कैसे संतुलन रखते हैं और इनसे भी महत्वपूर्ण, कभी हिम्मत ना हारने का पाठ आपको मिलेगा ।

Additional information

Weight 0.5 kg
Book Author

ISBN/UPC

978-93-82742-96-8

Binding

Paperback

Size

5.5” X 8.5”

Pages

126

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