Description
साँई बाबा अपने भक्तों के जीवन में चमत्कार करते रहते हैं और उन पर अपना प्रेम बरसाते रहते हैं, उनकी देखभाल करते रहते हैं। यह पुस्तक एक ऐसी सीधी-सरलऔर धर्मपरायण गृहिणी के निजी संस्मरणों और सत्य घटनाओं की जीवन यात्रा का वर्णन हैजिन्हें प्रेमवश लोग ‘आई कहा करते हैं, औरजो बाबा के प्रति अपने गहन समर्पण के कारण बाबा के वचनों और कृपाओं का माध्यम बन गई हैं।
आई का जीवन बाबा की सादगी, करुणा और संपूर्ण समर्पण जैसे गुणोंका जीता-जागता दस्तावेज है। सांसारिक रूप से ग़रीब होने और अनेक कठिनाइयां आने के बावजूद,वे बाबा की भक्ति में अडिग रहीं, और बदले में बाबा भी उनकी सहायता के लिए हमेशा उनकेसाथ रहते हुए यह सुनिश्चित करते रहे कि वे सदैव सुरक्षित रहें और उन्हें वह सब मिलतारहे जो कि उनके लिए आवश्यक है।
आई इस बातपर बल देती हैं कि बाबा की कृपाओं को निरंतर पाने वाली वे कोई विशिष्ट व्यक्ति नहींहैं। इस पुस्तक में वे ऐसे कुछ मार्गदर्शक सूत्र बताती हैं जिन पर चल कर कोई भी अपनेदैनिक जीवन को बाबा के प्रति समर्पित करते हुए उनकी कृपा को स्वतः प्राप्त कर सकता है।
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